अवलोकन
- नवंबर 2019 के अंत में, चीन के वुहान शहर से एक घातक वायरस उठा और दुनिया भर में फैल गया।
- शुरू में यह आम फ्लू से ज़्यादा कुछ नहीं लगा क्योंकि इनमें से कई मामले ठीक हो गए थे और मृत्यु दर भी कम थी।
- यह रोग पूरी दुनिया में जल्दी फैल गया। भारत ने 12 मार्च 2020 को कोरोना से हुई पहली मृत्यु की सूचना दी, जो एक 76 वर्ष की महिला थी।
विषय – सूची:
- कोविड-19: उदय
- वैश्विक महामारी के रूप में कोविड-19
- भारत में कोरोनावायरस
- सरकार के निर्णयों का मूल्यांकन
- भारत पर कोविड-19 का प्रभाव
- सुझाए गए उपाय
- अन्त में
1. कोविड-19: उदय
1.1. कोरोनावायरस की उत्पत्ति
बात नवंबर 2002 की है, जब चीन के ग्वांगडोंग शहर में निमोनिया अचानक काफ़ी बढ़ गया था। इसके लक्षण किसी आम फ़्लू के समान ही थे, जो मानव शरीर में जानवरों के माध्यम से आ रहा था। जब इस विकार के वायरस का अध्ययन किया गया, तो वायरस की संरचना मुकुट के समान पाई गई, इसलिए इसे कोरोनावायरस कहा गया। कोरोना का अर्थ लैटिन भाषा में ‘क्राउन’ (मुकुट) होता है। इस वायरस ने पीड़ित की श्वसन तंत्र को निशाना बनाया था। इस बीमारी को इसलिए गंभीर माना गया क्योंकि ये श्वसन तंत्र को बाधित कर रही थी। और फिर शुरुआत हुई एक घातक महामारी की, जो अगले 9 महीनों तक जारी रही। इसे SARS-CoV नाम दिया गया। ये इतनी घातक बिमारी थी कि – महज़ ९ महीनो में इसने लगभग 8,000 लोगों को प्रभावित किया था और 774 लोगों को मृत्यु के घाट उतार दिया था। चीन के लिए इस SARS (severe acute respiratory syndrome) बिमारी से निपटना एक टेढ़ी खीर साबित हुआ। ख़ैर, दिन बीतते गए और धीरे धीरे सब कुछ पहले जैसा हो गया।
लगभग 16 वर्षों के बाद चीन के हुबेई प्रांत के, एक शहर वुहान में एक बार फिर से इसी तरह का गंभीर वायरल संक्रमण देखा गया। संक्रमण का पहला मामला 17 नवंबर 2019 को सामने आया था। चूंकि, यह एक आम फ़्लू जैसा दिखता था, इसलिए डॉक्टरों ने इसे दोबारा हल्के में लिया।
लेकिन, जब इसी तरह के लक्षणों से युक्त रोगियों की एक लम्बी कतार सामने आने लगी, तो चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज (CAS) लैब के एक चिकित्सक – डॉ० ली वेंगलियाँग ने दावा किया कि- यह एक प्रकार का गंभीर तीव्र श्वसन रोग (severe acute respiratory syndrome) था । उन्होंने बताया कि – यह एक नए प्रकार के कोरोनावायरस से फैल रहा था । देखते ही देखते पूरे हुबेई प्रांत में यह वायरस आग की तरह फैल गया था। दुर्भाग्यवश, जनवरी 2020 में इसी घातक संक्रमण से डाॅ०ली की भी दुखद मृत्यु हो गई।
जबकि यह जनवरी 2020 के अंत तक केवल वुहान में ही सबसे अधिक फ़ैल रहा था, दुनिया के अन्य हिस्सों में जीवन अभी भी सामान्य था।
डायमंड प्रिंसेस नामक एक क्रूज शिप को योकोहामा (जापान) से रवाना होना था। चीन, वियतनाम, ताइवान हो कर इसे फिर जापान पहुँचना था। पूरी यात्रा में दो सप्ताह का समय लगने वाला था। कुछ लोग 20 जनवरी को सवार हुए। यात्रा समाप्त करने का समय 1 फरवरी था, लेकिन समाचार आया कि एक यात्री, जो 25 जनवरी को हांगकांग में उतरा था, का परीक्षण करने पर पाया गया कि – वह कोरोना वायरस से प्रभावित था।
जापानी स्वास्थ्य प्रशिक्षकों के आदेश के अनुसार यात्रा रद्द कर दी गई, और चालक दल के साथ सभी यात्रियों को परिक्षण (चेक-अप) कराने का निर्देश दिया गया।
एक बार जब परीक्षण शुरू हुआ तो मरीजों की संख्या बढ़ती ही गई। यह जहाज करीब 3500 यात्रियों को लेकर जा रहा था। परिक्षण के बाद इस जहाज को जानलेवा वायरस का वाहक माना जाने लगा।
किसी को नहीं पता था कि, इसे क्या कहा जाना चाहिए लेकिन यह अचानक से आई एक आपदा थी। कुछ लोग इसे वुहान वायरस या चीन वायरस कह रहे थे, जबकि कुछ अन्य इसे 2019-nCoV के नाम से बुला रहे थे। अंत में, 11 फ़रवरी 2020 को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के एक अधिकारी ने इस बिमारी का नाम COVID -19 (कोविड-19)दिया। इसके लक्षण थे बुखार, सूखी खांसी, थकावट, सांस लेने में तकलीफ, ज़ुकाम, आदि है।
3,200,000 से अधिक लोगों को दुनिया भर में कोविड -19 का प्रकोप 100 दिन के भीतर ही संक्रमित कर चुका था। और 229,085 से अधिक लोगों की मृत्यु हो गई ।

इस लेख के में आगे हम कुछ अन्यं वैश्विक महामारियों के बारे में जानेंगे।
2. वैश्विक महामारी के रूप में कोविड-19
दरअसल, कोविड-19 किसी महामारी का पहला घातक प्रसार नहीं है। अनेक ऐसी महामारियाँ हजारों साल पहले से उभरती रही हैं। हालांकि, विभिन्न महामारियों से होने वाली क्षति के स्तर भी अलग-अलग ही रहे हैं, लेकिन वैश्विक महामारियाँ सबसे खतरनाक रही हैं। इन्होने लाखों लोगों को संक्रमित किया है तथा हज़ारों को मार डाला है।
इतिहास के पन्नों में अगर देखा जाए तो हम पाते हैं कि हर सदी में, कम से कम एक ऐसी महामारी हरकत में आ ही जाती है जो सबको त्रस्त कर देती है।
- मार्सिले का ग्रेट प्लेग: 1720
रिकॉर्ड के अनुसार, ग्रेट प्लेग ऑफ मार्सिले की शुरुआत तब हुई जब, ग्रैंड-सेंट-एंटोनी नामक जहाज पूर्वी भूमध्य सागर से, माल लेकर फ्रांस के मार्सिले में पहुंचा।
यह अगले तीन वर्षों तक जारी रहा, मार्सिले की आबादी का 30% तक हिस्सा इससे खत्म हो गया। - पहली हैजा महामारी: 1820
इसका प्रसार में एशिया में हुआ था। यह एक जीवाणु संक्रमण था जो दूषित पानी के कारण हुआ था। इंडोनेशिया, थाईलैंड और फिलीपींस सबसे अधिक प्रभावित देश थे। इस महामारी ने लगभग 100,000 लोगों के जीवन को प्रभावित किया था । - स्पैनिश इन्फ्लुएंजा / फ़्लू: 1920
स्पैनिश फ़्लू सबसे हाल ही में फैली भयावह महामारी थी। इसने लगभग 50 करोड़ लोगों को संक्रमित किया और करीब 1 करोड़ मारे गए । स्पेनिश फ़्लू का इतिहास में सबसे घातक महामारी का रिकॉर्ड है।
जैसे ही दुनिया ने 21 वीं सदी में प्रवेश किया, कई घातक बीमारियाँ शुरू हो गईं। जैसे:
- एवियन/बर्ड फ़्लू (H5N1) – 2001
- SARS-CoV – 2002-03
- स्वाइन फ़्लू (H1N1) – 2009
- इबोला संक्रमण – 2016 आदि।
उपरोक्त चार में से तीन चीन से आए थे।
इसके बाद 2019 में शुरू हुए इस नए कोरोनवायरस को पिछले SARS कोरोनवायरस (2003) का एक नया संस्करण माना गया। इसके शीघ्र फैलने और मारक क्षमता के कारण, WHO ने कोविड-19 को मार्च 2020 में एक वैश्विक महामारी के घोषित कर दिया।
3. भारत में कोरोनावायरस
3.1. फैलने की कहानी
तारीख थी 30 जनवरी 2020 । परिक्षण के बाद केरल की एक लड़की को कोविड-19 के लिए सकारात्मक पाया गया। वो अपनी छुट्टियों में चीन से लौटी थी। वह वुहान विश्वविद्यालय में एक छात्रा थी। जैसे ही लड़की में लक्षण दिखाई दिए ,उसे केरल के त्रिशूर के सरकारी अस्पताल में, रेफर कर दिया गया। दुर्भाग्य से, यह भारत में इस महामारी की शुरुआत थी।
स्थिति अभी भी नियंत्रण में थी। फिर कुछ और मामले देखे गए। फरवरी के अंत तक, मामले 3 पर स्थिर रहे। फिर 4 मार्च से कोविड-19 के मामलों में तेजी से वृद्धि देखी गई। सरकार ने तुरंत अंतरराष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया।
सरकार की समयबद्धता की दुनिया भर में प्रशंसा हुई। इसने प्रसार की दर को धीमा कर दिया था लेकिन मामले आते रहे। 24 मार्च को, जब कुल पुष्टि की गई कोविड-19 मामलों की संख्या 519 तक पहुंच चुकी थी, भारत ने 21 दिनों का पहला सम्पूर्ण लॉकडाउन (तालाबंदी) लगाया। यह दुनिया की एक बड़ी आबादी होने के कारण भारत के लिए एक बड़ी चुनौती थी।
तब से, देश कभी भी उस स्थिति में नहीं लौटा, जैसा कि 2020 की शुरुआत में था।
3.2. पहला लॉकडाउन
24 मार्च से पहले नागरिकों पर कोई प्रतिबंध नहीं था। लोग घर से बाहर निकल सकते थे तथा एक दूसरे से मिलजुल भी सकते थे। सभी सार्वजनिक परिवहन, होटल, मॉल, स्कूल, दुकानें आदि सभी अपनी सामान्य स्थिति में थे।
इसके बाद लगा 21 दिनों का लॉकडाउन कुछ लोगों को ठीक नही लग रहा था। यह उनके लिए अचानक से लिया गया फैसला था। क्योंकि उन्हें विश्वास नहीं था कि दुनियाँ का सबसे बड़ा लोकतंत्र 519 मामलों के बाद पूरी तरह से बंद हो जाएगा। सबसे अधिक प्रभावित देश अभी भी ठीक से काम कर रहे थे। अगले भाग में हम इस तुरंत लिए गए निर्णय के पीछे छिपे हुए कारण को जानने की कोशिश करेंगे।
4. सरकार के निर्णयों का मूल्यांकन
इस खंड में हम भारत सरकार के निर्णय का मूल्यांकन करने की कोशिश करेंगे- केवल 519 मामले होने के बाद ही पूर्ण तालाबंदी लागू करने के पीछे का कारण क्या है?
4.1. डेटा के पीछे
ज्यादातर मामलों में यह देखा जाता है कि – वायरल अटैक के बाद भी, कोरोनावायरस के लक्षण औसतन 5 दिनों तक दिखाई ही नहीं देते हैं। इस अवधि को ऊष्मायन अवधि (इन्क्यूबेशन पीरियड) कहा जाता है । इस वायरल फ्लू के कारण औसत घातक अवधि (औसत अवधि, जिसके बाद किसी मरीज की मृत्यु हो जाती है) 20 दिन की होती है। इसलिए, संक्रमित व्यक्ति की पहचान होने तक वह कम से कम 2 से 3 लोगों जरूर को प्रभावित कर देता है। किसी एक संक्रमित व्यक्ति से दूसरे लोगों को संक्रमित करने की इस अनुमानित संख्या को प्रजनन दर या प्रजनन संख्या कहा जाता है । मार्च 2020 तक, कोविड-19 के लिए प्रजनन संख्या 2.5 थी। यह पूरी दुनिया के अध्ययन के बाद पता चली थी। किसी बीमारी की प्रजनन संख्या आबादी के घनत्व के साथ-साथ लोगों के बीच मेल-जोल पर भी निर्भर करती है।
अब, यह आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि – ऊष्मायन अवधि का ज़्यादा होना इस बीमारी का अधिक व्यापक रूप से बढ़ने का एक मुख्य कारण है।
चूंकि भारत दुनिया का दूसरा सबसे अधिक आबादी वाला देश है, जिसमें जनसंख्या का घनत्व बहुत अधिक है, दुनिया के कई अन्य देशों की तुलना में भारतीयों की बातचीत या मेल-जोल की दर अधिक होती है। जाहिर है, लोगों के बीच मेल-जोल कम करने के लिए, जिससे महामारी के बढ़ने की संभावना भी कम हो,पूरे भारत पर लॉकडाउन लगा दिया गया।
इस बीमारी के कारण किसी व्यक्ति की मृत्यु का अर्थ यह लिया जा सकता है कि- रोगी मृत्यु से लगभग 20 दिन पहले संक्रमित हुआ होगा। वहीं संक्रमण के शुरूआती 5 दिनों तक तो उसे इसका पता भी नहीं रहा होगा। और यदि व्यक्ति इस अवधि में 2-3 और लोगों से मिला होगा तो उन्हें भी संक्रमित कर चुका होगा। इसलिए संभव है कि – संक्रमण की एक नई श्रृंखला पहले ही शुरू हो चुकी हो।
देश | की पुष्टि | नए मामले | डबल्स इन | मौतें | बरामद | मौत (%) |
भारत | 519 | 86 | 3 | 9 | 40 | 1.73 |
हम देख सकते हैं कि उपरोक्त तालिका में मृत्यु दर 1.73 है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि पिछले 20 दिनों में इन 1.73 % लोगों से कितने रोगी प्रभावित हुए होंगे?
इसका स्पष्ट अर्थ है कि मामलों की वास्तविक संख्या रिपोर्ट किए गए लोगों की तुलना में कहीं अधिक रही होगी। उसी दिशा में, हमने भारत में 24 मार्च से पहले की स्थिति का पता लगाने का प्रयास किया। हमारे पूर्ण अध्ययन के बाद आप अनुमानित संख्या देख सकते हैं:

यह अध्ययन स्पष्ट रूप से बताता है कि दुनिया के दूसरे सबसे अधिक आबादी वाले देश ने 55 दिनों के भीतर ही पूरी तरह से इसे फैलने से रोक दिया गया था, ये तभी कर दिया गया जब भारत में कम संख्या में कोविड-19 पीड़ित मिले थे।
यह चौंकाने वाला तथ्य है जो यह बताता है कि – जब भारत में कोविड-19 के 519 ज्ञात रोगी थे, तब तक इसके कम से कम 878 अज्ञात मरीज थे ।
5. भारत पर कोविड-19 का प्रभाव
3 जून तक, भारत में 6,000 से अधिक मौतों के साथ 214,000 कोविड-19 मामले दर्ज किये गए हैं। राष्ट्र को जो बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है, वह है जान का नुकसान। देश प्रतिदिन 6,000 से अधिक नए मामले और सैकड़ों मौतें दर्ज कर रहा है। यह जीवन और अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी क्षति है।
देश में कोरोनोवायरस तेजी से फैल गया है। निम्न एनीमेशन 2 जून 2020 तक कुल पुष्टि किए गए मामलों की वृद्धि को दर्शा रहा है।

देश ने अर्थव्यवस्था और विकास के मामले में बहुत कुछ खोया है। मजदूरों के साथ साथ छोटे व्यवसाय करने वाले या फेरी लगाकर सामान बेचने वाले लोगों पर अत्यधिक प्रभाव पड़ा है। हमारे किसान भाईयों को भी समस्याओं का सामना करना पड़ा है। छात्रों की शिक्षा और परीक्षाएँ स्थगित कर दी गई हैं। विश्वविद्यालयों को अपने प्रवेश परीक्षा को स्थगित करने और अपने वार्षिक सत्रों की शुरुआत के लिए पुनर्विचार करने के लिए कहा गया है।
लेकिन, इन नुकसानों के अलावा, भारत में सबसे अधिक युवा आबादी लगभग 356 मिलियन हैं। और नागरिकों के जीवन को बचाना अधिक महत्वपूर्ण है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, लॉकडाउन राष्ट्र के लिए एक आवश्यकता थी।
6. सुझाए गए उपाय
पूरी दुनिया में किसी भी स्थान पर कोविड-19 की इस घातक वृद्धि को तोड़ने वाला पहला और सबसे महत्वपूर्ण कदम सामाजिक मेल-जोल कम रखना है। 24 मार्च के बाद से देश में लॉकडाउन (तालाबंदी) को बढ़ाने के पीछे यह मुख्य कारण है।
अब, जब भारत दुनिया का सातवां सबसे अधिक प्रभावित देश बन गया है, नागरिकों को उन सावधानियों का पालन करना चाहिए जिसका निर्देश मिला है, और वह जरूरी भी है।
7. अन्त में
कोविड-19 दुनियाँ के लिए एक घातक महामारी बन गया है। हमने इसके प्रसार और किए गए उपायों पर कड़ी नजर रखी है। वैश्विक आपदा के क्षणों में हमने कुछ महान लोगों को भी देखा है जिन्होंने कठिन समय में मानवता दिखाते हुए गरीबों और मजदूर लोगों की मदद की है, और अब भी कर रहे हैं। हमें पूरी उम्मीद है कि- हम इस महामारी को भगाने में कामयाब होंगे। और देश फिर से प्रगति की राह पर अग्रसर होगा। इस विकट परिस्थिति में सुरक्षित रहना व धैर्य का परिचय देना परम् आवश्यक है।
रवि जी कोरोनावायरस के बारे में आपने बहुत अच्छी विस्तृत जानकारी दी है। कृपया और तरह की चीजों पारम्परिक भी हो सकती हैं की विस्तृत जानकारी देने की कृपा करें। और कोशिश करें कि अपने लेखों को जल्द से जल्द पोस्ट करें। आपके अगले पोस्ट का इंतजार है धन्यवाद।
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शुक्रिया! हमारी कोशिश रहेगी।
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